भगवान को भोग लगाने की विधि और मंत्र

Bhagwan Ko Bhog Lagane Ki Vidhi . हिन्दू धर्म परंपराओं में भगवान को भोग लगाने यानी नैवेध्य में मीठे व्यंजनों, फलों को चढ़ाने का विशेष महत्व है। 

पूर्ण पूजा में भगवान का स्नान , वस्त्र माला चढ़ाना और फिर भोग समर्पण कर पूजा आरती की जाती है . 

इसे षोडशोपचार पूजन विधि में नैवेध्य अर्पण करना बोला जाता है | यह प्रभु को प्रेम भाव और पूर्ण आदर के साथ कराये जाने वाला भोग क्रिया है | शास्त्रीय विधि यह हे की उसे थाली में या प्लेट में परोसकर उस अन्न पर घी परोसे | एक दो तुलसी पत्र छोड़े | नैवेध्य की परोसी हुई थाली पर दूसरी थाली ढक दे | भगवन के सामने जल से चोकोर एक दायरा बनाये | उस पर नैवेध्य की थाली रखे |

भगवान को भोग कैसे लगाये

बाये हाथ से दो चमच जल ले कर प्रदक्षिणा सोचे यह जल सोचते हुए “ सत्यम त्वर्तेन परिन्सिचामी “ मंत्र बोले | फिर एक दीर एक चम्मच जल थाली में छोड़े तथा “ अम्रुतोपस्तरणमसि “ बोले | उसके बाद बाये हाथ से नैवेध्य की थाली का ढक्कन हटाये और दाये हाथ से नैवेध्ये परोसे | अन्नपदार्थ के ग्रास दिखाते समय प्राणाय स्वाहा, अपानाय स्वाहा, व्यानाय स्वाहा, उदानाय स्वाहा, सामानाय स्वाहा, ब्रह्मणे स्वाहा मन्त्र बोले | अगर हो शके तो यह मंत्रो के साथ निचे दी गई ग्रास मुद्राये भी दिखाए |

भोजन के तीन मुख्य प्रकार कौनसे है , जाने इनमे अंतर 

शास्त्रों से जाने भोजन करने के नियम और जरुरी मंत्र 

प्राणाय स्वाहा : तर्जनी मध्यमा और अंगुष्ठ द्वारा |

अपानाय स्वाहा : मध्यमा, अनामिका और अंगुष्ठ द्वारा |

व्यानाय स्वाहा : अनामिका, कनिष्ठिका और अंगुष्ठ द्वारा |

उदानाय स्वाह : मध्यमा, कनिष्ठिका अंगुष्ठ द्वारा |

सामानाय स्वाहा : तर्जनी, अनामिका, अंगुष्ठ द्वारा |

ब्रह्मणे स्वाहा : सभी पांचो उंगलियो द्वारा |

इस प्रकार भोग अर्पण करने के बाद प्राशानारथे पानियम समर्पयामी मन्त्र बोल कर एक चम्मच जल भगवन को दिखा कर थाली में छोड़े | यह क्रिया में एक ग्लास पानी में इलायची पावडर डाल कर भगवान के सामने रखने की भी परंपरा कई स्थानों पर हे | फिर ऊपर दिए अनुसार छह ग्रास दिखाए | 

आखिर में चार चम्मच पानी थाली में छोड़े | जल को छोड़ते वक्त “ अमृतापिधानमसी, हस्तप्रक्षालनम समर्पयामी, मुखप्रक्षालनम समर्पयामी तथा आचामनियम समर्पयामी “ यह चार मन्त्र बोले पश्यात फूलो को गंध लगाकर करोध्वरतनं समर्पयामी बोल कर प्रभु को चढ़ाये | इस प्रकार नैवेध्य अर्पण करने के बाद यह थाली को कुछ देर तक वहा रहने दे और बाद में यह प्रसाद के रूप में सभी को बांटे और बाद में खुद ग्रहण करे ||

bhagwaan ko bhog lagane ki vidhi


अन्य भोग लगाने के मंत्र

कृष्ण और विष्णु को भोग :-

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

सभी देवी देवताओ को भोग :-

शर्कराखण्ड खाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च

आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्य प्रतिगृह्यताम्।।

भोग लगे भोजन का क्या करे ? 

जो प्रसादी आपने भगवान को भोग के रूप में लगाई है , वो कुछ देर भगवान के सन्मुख रहने के बाद उसे नमन कर उठा ले और फिर इसे घर के सदस्यों और भक्तो में वितरित कर दे . 

भगवान के भोग से जुड़े जरुरी नियम 

❀ भगवान विष्णु और उनके अवतारों को भोग लगाते समय उसमे तुलसी जी का पत्ता जरुर डाले , बिना तुलसी दल के भोग मान्य नही होता है . 

❀ कभी भी झूठा भोग भगवान को नही चढ़ाना चाहिए . भोग की शुद्धता का हमेशा ध्यान रखे . 

❀ भगवान को कभी भी तामसिक भोजन का भोग नही लगाये जैसे की लहसुन और प्याज का . 

❀  प्रसाद को कभी पैरो में ना गिरने दे , यदि प्रसाद ज्यादा है तो बांट  कर खाए पर इसे व्यर्थ ना होने दे . 

❀ भगवान को भोग हमेशा सही और शुद्ध पात्रो में चढ़ाये , कभी प्लास्टिक के बर्तन काम में नही ले , प्लास्टिक को अशुद्ध माना गया है . आप चांदी , सोना , ताम्बा , पीतल या लकड़ी के बर्तन में परोसकर भोग लगा सकते है . 

Other Similar Posts

➜ क्यों लगाया जाता है भगवान के 56 भोग

➜ पूजा में हवन और यज्ञ का महत्व और लाभ

➜ भारत की पवित्र धार्मिक नदियाँ

➜ घर के मंदिर में ध्यान रखने योग्य छोटी मोटी बाते

➜ देवी देवताओ की पूजा के मुख्य नियम


सारांश 

  1. तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने बताया कि भगवान को भोग कैसे लगाते है , और उस समय कौनसे मंत्र बोलने चाहिए . आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 




Post a Comment

Previous Post Next Post