स्तंभेश्वर महादेव जिसका अभिषेक समुन्द्र देवता करते है

Stambheshwar Mahadev Temple Gujarat in Hindi शिवजी का अभिषेक भक्त तो करते ही है पर जब यही अभिषेक एक समुन्द्र के द्वारा किया जता है तो यह देखने वालो के लिए किसी चमत्कार से कम नही होता | गंगा को अपने शीश पर शोभित करने वाले भोलेनाथ का ऐसा ही एक मंदिर गुजरात में स्थित है | ज्वार भाता पर यह मंदिर कभी प्रकट तो कभी लुप्त हो जाता है |

stambheshwar mahadev mandir


वो शिवलिंग जिसका अभिषेक स्वयं समुन्द्र देवता करते है और चन्द्र देवता बनते है मुख्य कारण - स्तंभेश्वर महादेव गुजरात 


कहाँ है यह स्तंभेश्वर महादेव मंदिर :

इस अलौकिक मंदिर में शिवशंभु का जलाभिषेक गुजरात के तट पर खुद समुन्द्र देवता -वरुण देव  करते है | अभिषेक भी सिर्फ शिवलिंग का नहीं बल्कि सम्पूर्ण मंदिर का | गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गाँव में यह मंदिर स्थित है | यह अरब सागर के बीच कैम्बे तट पर स्थित है | यह क्रम सदियों से चला आ रहा है की मंदिर दिन में कभी दिखाई देता है और कभी जलमग्न हो जाता है |

stambeshwar mahadev shivling gujarat

समुन्द्र करे अभिषेक , चन्द्र उठाये ज्वार भाटा

कार्तिकेय ने की स्थापना पौराणिक है इसकी गाथा

इसकी महिमा जैसे ज्योतिर्लिंग

क्योकि साक्षात् बैठे है हर सुख दाता

➜ वो चमत्कारी कुण्ड जिसका पानी ताली बजाते ही नाचने लगता है 

शिवलिंग के पीछे की कथा :

यह शिवलिंग शिवजी के पुत्र कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था क्योकि उनके द्वारा एक परम शिव भक्त का वध हो गया था | प्राचीन काल में ताड़कासुर नामक दैत्य ने शिवजी की घोर तपस्या करके यह वरदान पा लिया था की उसका वध 6 दिन का शिव पुत्र ही कर सके | वरदान मिलने के बाद ताड़कासुर हर तरफ अपना आतंक मचाने लगा | देवताओ के निवेदन पर शिवजी के एक पुत्र ने जन्म लिया जिसके 6 सिर थे | यह कार्तिकेय थे | इन्होने ताड़कासुर का वध करके उनके आतंक को खत्म किया | पर जब उन्हें यह पता चला की ताड़कासुर उनके पिता शिवजी का परम भक्त था तो उन्हें बहुत दुःख हुआ | भगवान विष्णु ने उन्हें उसके वध स्थल पर एक शिवलिंग स्थापित करने की बात कही जिसे कार्तिकेय नही पूर्ण किया | यही जगह आगे चल कर स्तंभेश्वर तीर्थ कहलाई |

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➜ करणी माता मंदिर जिन्हें चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है 

दिन में दो बार ओझल हो जाता है मंदिर :

यह मंदिर ज्वार भाता के कारण दिन में 2 बार सुबह और शाम को ओझल हो जाता है | यह कई सदियों से चल रहा है | समुद्र की ऊँची लहरों के अनुसार भक्तो को दर्शन के पर्चे बांटे जाते है | इस तीर्थ की जानकारी पुराणों में भी मिलती है |

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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जहा खुद समुन्द्र शिवजी का जल अभिषेक करते है | समुन्द्र की लहरे जब ऊँची होती है तब यह मंदिर जल मग्न हो जाता है |

समुन्द्र के साथ साथ इस जल अभिषेक का फल प्राप्त होता है चन्द्र देवता को भी , क्योकि समुन्द्र में ज्वार भाटा लाने में उनका भी सबसे अहम रोल होता है . 

दिन में २ बार समुन्द्र में ज्वार आने से शिवजी का दो बार अभिषेक होता है | लोगो का मानना है की इस मंदिर में स्वयं शिवजी का वास है अत: खुद समुन्द्र देवता इनका अभिषेक करते है | यह शिवलिंग चार फूट लम्बा और २ फीट मोटा है |

जो भी भक्त यह दर्शन करने आते है उन्हें ज्वार का समय पहले ही उनकी सुरक्षा के लिए बता दिया जाता है |

स्तंभेश्वर महादेव में दर्शन और आरती का समय फिक्स नही 

एक बात और जो इस मंदिर को खास बनाती है वो यह कि इस मंदिर की समय तालिका हर दिन बदलती है . यहा आरती और दर्शन का समय कभी फिक्स नही होता है . यहा चन्द्र देवता के कारण आने वाले ज्वार भाटे पर समुन्द्र का पानी का स्तर बढ़ता है और मंदिर जल मगन  हो सकता है अत: सावधानी के लिए यहा मंदिर अपनी वेबसाइट के द्वारा भक्तो को हर दिन की टाइमिंग बताता है . 

आप स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की समय तालिका यहा से देख सकते है .

https://www.stambheshwarmahadev.com/aarti-schedule/


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सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना भारत का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर जिसका अभिषेक स्वयम समुन्द्र देवता करते है और दिन में दो बार गायब हो जाता है यह मंदिर . इस मंदिर का नाम है स्तंभेश्वर महादेव जो की महिसागर संगम तीर्थ पर स्तिथ है . 

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